1क्या संकट में है हेमंत सरकार? झारखंड को RBI से लेना पड़ा 1000 करोड़ का कर्ज, ये है वजह**
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, जिससे राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस कदम ने अटकलों को जन्म दिया है कि क्या झारखंड सरकार गंभीर आर्थिक संकट में है?
कैसे और क्यों लिया गया यह कर्ज?
सरकारों के लिए आरबीआई से कर्ज लेना असामान्य नहीं है। राज्य सरकारें अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वाय एंड मीन्स एडवांसेस (WMA) और ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाओं का उपयोग कर सकती हैं। झारखंड सरकार ने भी इसी तरह आरबीआई से 1000 करोड़ रुपये की सहायता ली है।
राज्य की वित्तीय स्थिति पर नजर डालें तो यह कर्ज कई कारकों के कारण लिया गया हो सकता है:
1. राजस्व में गिरावट:
झारखंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनन और उद्योगों पर निर्भर है। लेकिन हाल के वर्षों में कई आर्थिक कारणों से सरकारी राजस्व प्रभावित हुआ है। रॉयल्टी और कर संग्रह में गिरावट से सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।
2. विकास योजनाओं का दबाव:
झारखंड सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, जिनमें मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, किसान योजनाएं और पेंशन योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं के लिए फंड की ज़रूरत लगातार बनी रहती है।
3. केंद्र से फंड मिलने में देरी:
कई राज्य केंद्र सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर निर्भर होते हैं। अगर केंद्र से जीएसटी मुआवजा या अन्य वित्तीय सहायता में देरी होती है, तो राज्य को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है।
4. चुनावी प्रभाव:
झारखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर सरकार पर लोक-लुभावन घोषणाएं पूरी करने का दबाव हो सकता है, जिससे वित्तीय भार बढ़ा है।
क्या झारखंड सरकार वास्तव में संकट में है?
हालांकि सरकार ने कर्ज लिया है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि झारखंड दिवालिया होने की कगार पर है। भारत के लगभग सभी राज्य समय-समय पर आरबीआई से कर्ज लेते हैं और यह एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन, अगर राज्य की राजस्व वसूली में सुधार नहीं होता या कर्ज बढ़ता रहता है, तो भविष्य में वित्तीय संकट गहरा सकता है।
सरकार की सफाई और आगे की राह
झारखंड सरकार का कहना है कि यह कर्ज अस्थायी है और जल्द ही राजस्व संग्रह बेहतर होने के साथ इसे चुका दिया जाएगा। वहीं, वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए खनन क्षेत्र में सुधार, कर संग्रह में पारदर्शिता और खर्चों में संतुलन बनाना होगा।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार का RBI से 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लेना एक चिंता का विषय तो है, लेकिन यह संकट का संकेत नहीं है। सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और आर्थिक सुधारों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे कर्ज की जरूरत न पड़े।