धनबाद जिले में एचआईवी संक्रमण के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। पिछले 11 महीनों में,




धनबाद जिले में एचआईवी संक्रमण के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। पिछले 11 महीनों में, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (SNMMCH) के एआरटी सेंटर में 55 एचआईवी संक्रमित मरीजों की मृत्यु हुई है। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी है, जब इसी अवधि में 27 मरीजों की मृत्यु हुई थी。

इसके अलावा, जुलाई से दिसंबर 2023 के बीच, 16 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के 17 युवा एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं में एचआईवी संक्रमण का एक प्रमुख कारण 'मेन हैविंग सेक्स विद मेन' (MSWM) बताया गया है, जो सेक्स शिक्षा की कमी और अधूरी जानकारी के परिणामस्वरूप हो सकता है。


झारखंड राज्य में एचआईवी संक्रमण के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच, राज्य में 1,534 नए एचआईवी संक्रमित मरीजों की पहचान हुई है, जिससे राज्य में कुल एचआईवी संक्रमितों की संख्या लगभग 17,000 हो गई है。


राज्य सरकार एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिसमें उन्हें पीपुल्स लिविंग विद एचआईवी एड्स नेटवर्क से जोड़कर भेदभाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, संक्रमित मरीजों को हर माह पोषण के रूप में एक हजार रुपये की राशि भी प्रदान की जा रही है。


विशेषज्ञों का मानना है कि एचआईवी संक्रमण की रोकथाम के लिए युवाओं में सेक्स शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है, ताकि वे सुरक्षित यौन व्यवहार अपना सकें और संक्रमण के जोखिम को कम कर सकें。



विशेष रूप से धनबाद जिले में, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक 11 महीनों में 55 एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत हुई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी है। पिछले साल इसी अवधि में 29 मरीजों की मौत हुई थी।


स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में एचआईवी संक्रमण के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा मामलों में यह पाया गया है कि रोजगार के सिलसिले में बाहर के प्रदेशों में लंबे समय तक रहने वाले लोग संक्रमण लेकर लौट रहे हैं, जिनमें निम्न आय वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।


सरकार ने एचआईवी संक्रमितों के इलाज के लिए राज्य में कुल 14 एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट) सेंटर स्थापित किए हैं, जहां उन्हें निःशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा, मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग और काउंसलिंग की जा रही है, और गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच अनिवार्य तौर पर कराई जा रही है, ताकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं से बच्चों में एड्स के संक्रमण को रोका जा सके।


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